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Kuch nagme dil ke

Kya sach kaha tha us kaatil ne Ki katal tho yu hi ho gaya, Hum tho sirf  ijhaar Karen gay the Na Jane ye kasa kaarnwa ho gaya Kisi ki chah  me jeena ab muskil ho  gaya Na  jane ye  jindgi dariya  ka  sahil  ho  gaya Na jane ye kesa kaanrwa  ho gaya Tere  akhso  ko  apni kalm ki syaahi bana li Apne dard ko bya  karne ke liye tho Ye  dard bhi sahan karna ek imtaha ho gaya Na jane ye kesa kaarnwa ho gaya Na jane ye kesa kaarnwa ho gaya ######### आलम कुछ एसा हुआ कि जिन्दगी ने मुह मोड लिया ,,, हम तो इन्तज़ार कर रहे थे उनका, रस्ते ने मुह मोड़ लिया। जिन्दगी  का क्या कसूर कि हम भी वफा करना चाहते थे उनसे पर क्या करें उनहोंने हमसे ही मुह मोड़ लिया  ।। ########## हम जिससे वफा कि उम्मीद कर बैठे वो हमें अन्जा कर बैठें हम जिसे चाहत कर बैठे वो हमे अनचाहा कर बैठे क्या जाने कब वो हमे दिदारे-ताज करायेंगे लेकिन वो हमे ही अजनबी बना बैठें  ।।        

sawan ki vart katha

एक बार की बात हैं सावन के महीने में अनेक ऋषि क्षिप्रा नदी उज्जैन में स्नान कर महाकाल शिव की अर्चना करने हेतु एकत्र हुए। वहां अपने रूप की अभिमानी वेश्या भी अपने कुत्सित विचारों से ऋषियों को धर्मभ्रष्ट करने चल पड़ी। किंतु वहां पहुंचने पर ऋषियों के तपबल के प्रभाव से उसके शरीर की सुगंध लुप्त हो गई। वह आश्चर्यचकित होकर अपने शरीर को देखने लगी। उसे लगा, उसका सौंदर्य भी नष्ट हो गया। उसकी बुद्धि परिवर्तित हो गई। उसका मन विषयों से हट गया और भक्ति मार्ग पर बढ़ने लगा। उसने अपने पापों के प्रायश्चित हेतु ऋषियों से उपाय पूछा, वे बोले- ‘तुमने सोलह श्रृंगारों के बल पर अनेक लोगों का धर्मभ्रष्ट किया, इस पाप से बचने के लिए तुम सोलह सोमवार व्रत करो और काशी में निवास करके भगवान शिव का पूजन करो।’ यह संदेश पाते ही वेश्या ने ऐसा ही किया और अपने पापों का प्रायश्चित कर शिवलोक पहुंची। भगवान शिव की कृपा से अपने समस्त पापों से मुक्त हुई। तब से ही आचरण की शुद्धता के लिए 16 सोमवार का पावन व्रत किया जाता है। सोलह सोमवार के व्रत से कन्याओं को सुंदर सुशील पति मिलते हैं तथा पुरुषों को भी सुंदर सुशील पत्नी की प्राप्

sawan ki katha

श्रावण मास  महादेव का सबसे प्रिय महीना है क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते हैं, यह माह  देवों के देव  महादेव  के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करता है। इस दौरान व्रत, दान व पूजा-पाठ करना अति उत्तम माना गया है। इस महीने में तपस्या और पूजा पाठ से शिव जी जल्द प्रसन्न होते हैं।  भगवान शंकर  ने स्वयं सनतकुमारों को सावन महीने की महिमा बताते हुए कहा है कि उनके तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बाएं चन्द्र और अग्नि मध्य नेत्र है। इस मंत्र से सोमवार का संकल्प किया जाता है। :  मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये' यह है ध्यान मंत्र- ' ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌। पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌॥

Ek chotti is story

   ye un dino ki baat  hai jab me apne dosto ke saath movie  dekhne gaya tha .wanha mene ek ek 12 year ke bachhe ko dekha  wo road ke side me kharda tha ,phale mujhe lagga wo paise  mangne wala hai phir laga ho sakta hai kuch bech raha ho .leki na wo kuch raha tha na kuch maang raha tha wo bas apne papa ka intjaar kar raha tha uske papa wahi pass ki hotel  me kaam karte tha.wo unki chutti hone ka intjaar kar raha tha use apne papa ke saath market jana tha ek nai ball kharidne ke liye .uske papa ne saam ka time diya tha use nai ball lakar dene ke liye  jase hi uske papa ki chutti hui wo apne papa ke pass aaya aur unke gale lag gaya papa ne bola kya hua chal rahe abhi thordi der me tumhari ball kharidne ke liye.                            usne papa se kaha mujhe ball nahi lena ghar chalo uske papa ne pucha kya hua do din se tum jidd kar rahe the ball lena aaj mana kar rahe ho .wo bola me apni purani ball se khel lunga baad me lenge abhi nahi phir wo apne papa ka hanth pakard kar ghar